“जज्बात नहीं खोना अगर है हिम्मत कुछ कर दिखाने की
तू हौसलों को कर बुलंद इतना जमाने को झुकाने की”
हम सदैव विकास के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हैं। परंतु विकास का महत्वपूर्ण तथ्य लोगों की मानसिकता पर निर्भर है। विकास का प्रथम चरण शिक्षा है और हमारे संविधान और मौलिक अधिकार ने देश के प्रत्येक नागरिक को शिक्षा का समान अधिकार दिया है। परंतु हमारे समाज के चंद छोटी मानसिकता वाले लोगों ने आज भी हमारे समाज के कई हिस्सों में रह रहे निचली जाति वालों को आगे बढ़ने से रोक रखा है और शायद यह एक बड़ा कारण रहा है कि जो बच्चे हमारे देश का उज्जवल भविष्य है उन्हें कभी अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका नहीं मिल पाता है। आज हर एक मासूम बच्चे के मन में उचित शिक्षा ना मिल पाने का सवाल है जो शिक्षा से वंचित रह गए है।
इन्ही सवालों के जवाब ढूंढ़ने निकल पड़े यूपी के एक नवयुवक नितेश यादव जो समाज में हो रहे इस भेदभाव की तह तक पहुँचने का प्रयत्न कर इसे समझने में सफल रहे हैं। उन्होंने एक नई पहल कर इस क्षेत्र में बदलाव लाने के लिए अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। नितेश यादव यूपी के जौनपुर जिले के धर्मापुर ब्लॉक के एक छोटे से गांव कौवापार के रहने वाले हैं। साथ ही वे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के मास्टर ऑफ सोशल वर्क के छात्र रहे हैं। इस महामारी के समय जब पूरे भारतवर्ष में लॉकडाउन का माहौल था और जहां हमारे देश की आर्थिक स्थिति चरमरा सी गई थी। वही इसका प्रभाव शिक्षा के क्षेत्र में भी रहा। इस स्थिति में जहां विद्यालय शिक्षा देने में असमर्थ साबित हो रही थी। वहीं नितेश ने निचली जातियों को मुफ्त शिक्षा दे इस कठिन घड़ी में उनका हाथ थामा। उन्होंने इस कार्य की शुरुआत 5 अगस्त 2020 से अपने नजदीकी गांव गोपालपुर के चंद निचली जाति वाले छात्रों से की। शुरुआत में इनके पास 8 से 10 बच्चे पढ़ने आया करते थे। परंतु आज यहां 80 से 90 बच्चे प्रतिदिन पढ़ने को आया करते हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने अपने आस–पास के क्षेत्र में जाकर इस बात का सर्वेक्षण किया कि किस क्षेत्र में शिक्षा की व्यवस्था सुचारू रूप से नहीं चल रही है। अपने सर्वेक्षण के दौरान मुफ्तीगंज ब्लाक के अंतर्गत निसान गांव में वे स्वयं के खर्चे पर बच्चों को शिक्षा उपलब्ध करा रहे हैं। आज यहां 30 से 35 छात्र पढ़ने को आया करते हैं। अत: आज शिक्षा के अभाव के कारण यहां सभी जाति के बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। अत: यहाँ बच्चों के स्वास्थ को ध्यान में रखते हुए एक निश्चित दुरी पर बैठ कर शिक्षा देने का प्रबंध किया जाता है। इस शिक्षा संस्थान में एल.के.जी से कक्षा आठ तक की शिक्षा की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा वे प्रति माह यहाँ सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का भी आयोजन करते हैं जिससे बच्चों में प्रतिस्पर्धा बढ़े साथ ही पुरुस्कार वितरण समारोह का आयोजन कर बच्चों का मनोबल बढ़ाते हैं।
उनकी यह विचारधारा समाजवादी शिक्षण संस्थान से प्रेरित है। जब उन्हें अपने कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने के दौरान अस्मिता चाइल्ड लाइन के अंतर्गत मलिन बस्तियों में जाकर इस बात की पुष्टि करनी होती थी कि शिक्षक अपने कार्य को सुचारु रूप से कर रहे हैं या नहीं और वहां रह रहे बच्चों को उचित शिक्षा प्राप्त हो रही है या नहीं। उनका मुख्य उद्देश्य शिक्षा के प्रति जागरूकता लाना और आवश्यकता वाले क्षेत्रों में शिक्षा के अभाव को कम करना है। आने वाले दिनों में वे बच्चों के लिए आईटी की शिक्षा और नीट की शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा वे भविष्य में पर्यावरण संरक्षण में भी अपना योगदान देना चाहते हैं।
आज नितेश यादव स्वयं के खर्च पर इन बच्चों के उज्वल भविष्य के लिए एक लड़ाई लड़ रहे है। चुकि वह खुद ही एक विद्यार्थी हैं इसलिए इस कार्य में इनका समर्थन इनके परिवार एवं कुछ मित्र कर रहे है। साथ ही ये एक ऐसी वीरान स्थान में शिक्षा देते है जहाँ किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं। भविष्य में बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए इन्हें और अधिक धन राशि की आवशयकता होगी। इन बच्चों के अच्छे भविष्य के लिए आप नितेश यादव जी को धन राशि के द्वारा सहयोग जरूर करें और इस अच्छे काम में अपना योगदान दें।
यदि आप नितेश यादव जी के संस्थान से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप इस नंबर पर संपर्क कर सकते है।
Mob: 9628065988 / 8318836674