“यह एक कठिन समय है, मगर चीजें जरूर  ठीक होगी क्योंकि, हमारे वास्तविक जीवन के सुपर हीरो बेहतर , स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने में  अपना सर्वश्रेष्ठ दे रहे हैं।” 

 

कोरोना वायरस ने जहां सभी की कमर तोड़ डाली। वहीं कहीं ऐसे समाजसेवी उभरकर आते , जिन्होंने समाज में मानवता की मिसाल पेश की है। करोना महामारी के दौरान कादर शेख करोना से पीड़ित थे।उन्होंने इस दौरान देखा कि करोना लोगों के लिए सिरदर्द बन गया है। जहां लोग हर मुमकिन कोशिश कर रहे हैं। वही करोना गरीबी में आटा गीला करता जा रहा है। जल्द ही उसने अपने पैर सारे विश्व में पसार दिया।कादर शेख को करोना से राहत मिलने पर उन्होंने अपना कदम सत्कार्य की ओर बढ़ाया। उनको यह ख्याल उस दरमियान आया जब वह अस्पताल में भर्ती थे। क्योंकि उनकी देखभाल में वह काफी खर्च हो चुका था। ठीक होने के बाद उन्होंने विचार किया कि कई ऐसे लोग हैं जो हॉस्पिटल के खर्च उठाने में‌‌ सक्षम नहीं है। इन सब का विचार करते हैं।उन्होंने अपने एक नए सफर की ओर शुरुआत की। 

पाक इरादा और नेकी का वादा :- 

कादर शेख गुजरात के सूरत में रियल एस्टेट के बिजनेसमैन है। उन्होंने पूरे ऑफिस को एक हॉस्पिटल में तब्दील कर दिया। कई लोग दिन-रात हॉस्पिटल के चक्कर काटने और पैसे की कमी की वजह से कई लोगों की जान चली गई। कितने लोग अनाथ हो गए,कितने परिवार टूट के बिखर गए सिर्फ पैसों के कारण। इन सब को देखते हुए उन्होंने अपने ऑफिस को एक अस्पताल में बदल दिया। और लोगों को मुफ्त इलाज के लिए खोल दिया।अपनी पोती की  हीबा के नाम पर इस हॉस्पिटल का नामकरण हुआ। 

श्रेयम कांम्पलेक्स ऑफिस को उन्होंने 80बेड  हॉस्पिटल में परिवर्तन किया। ऑफिस करीब 30000 स्क्वायर फुट में है जिसमें ८५ बेड और ऑक्सीजन सिलेंडर भी लगवाए गए हैं। उन्होंने 15 आईसीयू बेड के अलावा सूरत निगम के साथ समझौता किया। जिसके तहत इसमें मेडिकल वर्कर्स और इक्विपमेंट सप्लाई की पूर्ति के लिए यह समझौता किया गया।डिप्टी हेल्थ कमिश्नर ने हॉस्पिटल का निरीक्षण कर मंजूरी दी। इस नेक काम में उनके तीनों बेटों ने भी साथ दिया।

कादर शेख कहते हैं कि उनकी जिंदगी शुरु से ही ऐसी नहीं थी। उन्होंने सफलता पाने के लिए कई दिक्कतों का सामना भी किया और वे अपने बेटों के साथ इस कार्य में जुट गए । लोगों की भलाई के लिए उन्होंने हॉस्पिटल में जल्द ही भोजन की सुविधा भी की जाएगी।ताकि आम लोगों को किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े।

Article By: Sushmita Varun Shukla

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