बाड़मेर के लंगेरा गाँव में रहने वाले 35 वर्षीय नरपत सिंह राजपुरोहित को पर्यावरण से इतना प्रेम है कि बहन को शादी के दहेज में 151 पौधे दिये और बरातियों को भी उपहार में एक-एक पौधे दिये! और उसके साथ पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया! उनके इस सराहनीय प्रयास से न सिर्फ बहन के ससुराल वाले खुश हुए बल्कि बरातियों को भी यह बहुमूल्य उपहार काफी पसंद आया!
नरपत सिंह आगे कहते हैं कि हमें जीवन में हमेशा दो पौधे लगाने चाहिए! एक जो हम सांस ले रहे हैं दूसरा अंतिम सांस के लिए! पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता हेतु नरपत सिंह ने विश्व की सबसे बड़ी साइकिल यात्रा की देश के 15 राज्यों में साइकल चलाकर पौधे लगाये!
और इन पौधों को लगाने में जो भी खर्च होता था वो सारा खर्चा नरपत सिंह राजपुरोहित खुद ही उठाते थें!
जम्मू कश्मीर से ये यात्रा शुरू हुई और हिमालय प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, यूपी, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, पुदुच्चेरी, दमन दीव तक जाकर साइकिल से पौधे लगाये! और गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया!
2013 से लेकर अब तक नरपत सिंह 90,000 से ज्यादा पौधे लगा चुके हैं! और लोगों से अपील करते हुए नरपत सिंह राजपुरोहित कहते हैं हमे अपने जीवन में सभी शुभ अवसरों पर पौधे लगाने चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए! ग्रीनमैन से प्रभावित होकर ग्रामीणों ने भी पौधे लगाने शुरू कर दिये हैं!
राजस्थान स्थापना दिवस के मौके पर नरपत सिंह राजपुरोहित ने “परिदों के परिंडे ” अभियान को शुरू किया जिससे पक्षियों को पानी के लिए भटकना न पड़े! और इस अभियान से देश के अधिकतर लोग जुड़े और और घर के आसपास परिंडें लगा कर इस अभियान में अपना योगदान दिया!
कोजाणियों की ढ़ाणी लंगेरा गाँव में कुत्ते ने एक चिंकारा को बुरी तरह जख्मी कर दिया था मगर मौके पर पहुँच कर नरपत सिंह राजपुरोहित ने वन विभाग को इसकी सूचना दी , जिससे चिकांरे की जान बचायी जा सकी अब तक 146 चिंकारा की जान बचा चुके हैं नरपत सिंह राजपुरोहित!
Article By: Tanu Mishra