हर एक कामयाब व्यक्ति के पीछे ना जाने कितने ही संघर्षों की कहानियां छिपी होती है। हम सदैव लोगों की सफलता के बारे में चर्चा करते हैं परंतु हम कभी उसके पीछे की गई मेहनत और संघर्ष को नहीं देख पाते हैं और ना ही उन हालातों की कल्पना कर सकते हैं जिनसे गुजर कर ये लोग समाज के लिए प्रेरणा के स्रोत बनते हैं। इसी प्रकार कुछ लोग अपनी मानवता का उदाहरण देते हुए अपने नाम से नहीं बल्कि अपने काम से जाने जाते हैं। 

 ऐसी ही एक कहानी झारखंड के मिहिजाम शहर में रहने वाले अभिनंदन कुमार सिंह की है। जिन्होंने समाज के समक्ष अपनी मानवता का उदाहरण प्रस्तुत किया है। समाज सेवा करने की इच्छा तो उनके मन में शुरू से ही थी परंतु परिस्थिति ने कभी उनका साथ ना दिया था। आज अभिनंदन जी ने अपनी सफलता के दम पर अपना जीवन ही नहीं बल्कि अन्य लोगों के जीवन को भी सार्थक बनाने में अपना योगदान दिया हैं। 

उनकी एक छोटी सी इच्छा कब उनके जीवन का उद्देश बन गई यह उन्हें भी पता ना चला जब एक दिन अभिनंदन जी किसी काम से घर से बाहर निकले थे। तब उन्होंने देखा कई गरीब बच्चे रास्ते पर भीख मांग रहे थे। तभी उनमें से एक बच्चा उनके पास आकर खाने के लिए कुछ मांगने लगा। उन्होंने उस बच्चे को एक बिस्किट का पैकेट खरीद कर दे दिया। जिससे उस बच्चे के चेहरे पर मुस्कान आ गई इसे देखकर उनके चेहरे पर एक राहत सी आ गई थी और कुछ देर बातचीत के बाद उस बच्चे ने बताया कि हमारे घरवालों के पास इतने पैसे नहीं है कि हमारा भरण पोषण कर सके इसलिए हम सभी भाई बहने सड़कों पर भीख मांगते हैं। बच्चे की इस बात ने उनके ह्रदय को भावपूर्ण कर दिया था जिससे रात भर शायद इस बात को सोचकर वह सो भी ना सके थे । तभी उन्होंने यह मन बना लिया कि वे लोगों की मदद करके अपने मन का बोझ हल्का कर सकेंगे। पर यह इतना आसान कहां था क्योंकि वह खुद ही एक विद्यार्थी थे और वह पूर्ण रूप से अपने परिवार पर निर्भर थे। मन में कुछ करने की भावना थी परंतु पैसे नहीं। शुरू से ही उनका सपना एक डॉक्टर बनने का था परंतु परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी ना थी जिससे उनका सपना साकार हो सके। अंत में विवश होकर उन्होंने व्यवसाय करने का सोचा । सन 2000 में जब कंप्यूटर की शिक्षा भारत में अपने पैर पसार रही थी तब उन दिनों कंप्यूटर का बड़ा ही चलन था। साथ ही आसपास के क्षेत्रों में कंप्यूटर से संबंधित जानकारी बहुत कम लोगों को थी। उन्होंने कंप्यूटर का कोर्स किया था जिसके कारण उन्हें लगा कि यह व्यवसाय उनके भविष्य के लिए बहुत ही कारगर साबित होगी। जब उन्होंने इस बात को अपने पिता से साझा किया तो उनके पिता ने कहा “व्यवसाय करना कोई छोटी मोटी बात नहीं है” पर इससे उनका हौसला टूटा नहीं और उन्होंने किसी तरह से अपने पिता को मना ही लिया और अंत में उनके पिता ने उन्हें कंप्यूटर खरीदने के लिए कुछ पैसे दिए, परंतु अब भी उनकी उलझन सुलझी ना थी। चुकि अब भी कंप्यूटर खरीदने के लिए पैसे कम पड़ रहे थे। ऐसी स्थिति में उन्होंने एक परिचित सब्जी वाले से कुछ पैसे उधार लिए और एक मित्र से एक कमरे की व्यवस्था करने को कहा जहां वे अपने व्यवसाय को शुरु कर सकें। 

मात्र पचीस वर्ष की आयु में उन्होंने कंप्यूटर के द्वारा शादी के कार्ड और दफ्तरी कार्ड छापने से अपने व्यवसाय की शुरुआत की। इसके बाद धीरे-धीरे उन्होंने स्कूल के विद्यार्थियों को कंप्यूटर सिखाना आरंभ किया। इससे धीरे-धीरे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ गई जिससे अब वे इतने सक्षम हो गए थे कि समाज के लिए कुछ कर सके।

वर्ष 2019 से उन्होंने अपना कदम समाज सेवा की ओर बढ़ाया जिसमे उन्होंने आसपास की बस्तियों के बच्चों को मुफ्त में कंप्यूटर की शिक्षा देना आरंभ किया। साथ ही उन बच्चों को कुछ पुस्तके भी बाँटी। उन्होंने सोशल एंड एजुकेशनल प्रोग्राम ऑफ इंडियन एकेडमी नामक  एक एनजीओ की भी स्थापना की है जिसके अंतर्गत वह आसपास के बस्तियों में रह रहे लोगों के लिए समय-समय पर आवश्यकतानुसार चीजों की आपूर्ति कर सके। वह प्रत्येक चार माह में एक बार इन बस्तियों में जाकर वहां के बच्चों को कंप्यूटर की मुफ्त शिक्षा प्रदान करते हैं। साथ ही उनके एनजीओ द्वारा एकत्रित किए गए कपड़े गरीबों में बाँट दिए जाते हैं। अत: वे बस्तियों में रह रहे लोगों को इस बात से अवगत कराते हैं कि शिक्षा जीवन का एक महत्वपूर्ण आधार है और यह एक ऐसा हथियार है जिसके माध्यम से हम अपनी परिस्थिति को बदल पाने में सक्षम हो सकते हैं। 

अभिनंदन जी ने आसपास के क्षेत्रों में आयोजित होने वाले रक्तदान कार्यक्रम में भी अपना योगदान दिया है। भविष्य में वे पर्यावरण संरक्षण से सम्बंधित  कार्यक्रम की ओर अपना कदम बढ़ाना चाहते हैं। वह इस कार्यक्रम के द्वारा समाज का ध्यान पर्यावरण प्रदूषण से हो रहे दुष्परिणामों की ओर आकर्षित करना चाहते हैं । उनके द्वारा समाज सेवा करने का एक मात्र उद्देश्य यह है कि किसी दूसरे की मदद कर जो सुख हमें प्राप्त होता है वह सुख हमें धन संपत्ति प्राप्त कर नहीं मिल सकती। उन्होंने समाज को यह संदेश देते हुए चंद पंक्तियां कही है “समाज सेवा से बढ़कर कोई सेवा नहीं है और मानवता से बड़ी कोई पूजा नहीं अत: यह सर्वोपरि है”।

आज अभिनंदन जी 10000 से भी अधिक छात्रों को कंप्यूटर कि शिक्षा दे चुके हैं जिसके लिए उन्हें राजीव गाँधी कंप्यूटर साक्षरता मिशन द्वारा पुरस्कार से सम्मानित  किया है। साथ ही समाज के प्रति इनकी उदारता पूर्ण भावना और सेवा के लिए इन्हें अनेक स्वयंसेवी संस्थानों द्वारा भी पुरुस्कार से सम्मानित किया गया है। 

अत: उन्होंने हमारे समाज में जिन बदलावों के लिए अपने कदमों को आगे बढ़ाया हैं वाकई यह काबिलए तारीफ है और इसके लिए हम उन्हें दिल से धन्यवाद देते हैं जो हमारे समाज के लिए कुछ करने की इच्छा रखते हैं।

 “सारे मिलकर हाथ बढ़ाएं 

समाज को एक नई दिशा दिखाएं “

अगर आप अभिनन्दन जी के एनजीओ से जुड़ी किसी भी तरह की जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। 

www.sepia.org.in

Mob: 09932266452

Article By: Neha Roy

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