जीवन में अगर संघर्ष न हो तो जीवन का कोई आधार नहीं होता | जीवन में आप बहुत कुछ करना चाहते हो मगर आपको उसके लिए कोई ना कोई शुरुआत करनी होगी, अगर कोई कहे सामने एक बहुत बड़ा पहाड़ है उसके दूसरी तरफ एक बहुत खूबसूरत दुनिया है अगर आपको वह खूबसूरत दुनिया में जाना है तो पहाड़ पर चढ़ना ही पड़ेगा |
कभी-कभी जीवन में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जो बहुत कुछ बदल देती है, ऐसी घटनाओं का साक्षी हमारा देश जो पिछले 2 साल से कोरोना महामारी को झेल रहा है इसका यूं कहूं कि वास्तविक परिस्थिति का असली ज्ञान इसमें ही मिला जब शुरुआत हुई महामारी की और जीवन के लिए जंग से देश स्तब्ध हो गया और ऐसा लगा जैसे हर किसी की सांसे थम सी गई थी और इससे लड़ने के लिए जब देश के हर हिस्से को बंद कर दिया गया या यूं कहें की लॉकडाउन लगा दिया गया अचानक हुई इस घटना से व्यक्ति की सोच स्थिर सी हो गई कहां से भोजन की व्यवस्था होगी.. कैसे सामान की व्यवस्था होगी.. कैसे जीवन की गाड़ी आगे चलेगी.. यही सब चल रहा था तभी ऐसा लगा कि कुछ करना चाहिए, बहुत सी संस्थाएं लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था तो कर रही थी लेकिन बेजुबान पशु पक्षियों के लिए व्यवस्था कौन करेगा हर जगह बंद था उसकी व्यवस्था पूरी नहीं हो रही थी| ऐसे में विवेक गुप्ता जी जैसे व्यक्ति समाज सेवा के लिए आगे आए हालांकि समाजसेवा का काम वह बचपन से ही करते आ रहे थे परंतु इस लॉकडाउन में आपने इस सामाजिक कार्य को एक नए शिखर पर पहुंचाया परिस्थितियां ऐसी भी थी इस कार्य में लोगों का बहुत साथ भी मिला | लॉकडाउन के समय में बेजुबान पशु पक्षियों के लिए जो भी करने का मौका मिला उसको विवेक जी ने भरपूर मन से करने की कोशिश की और उससे उन्हें सुकून मिला उस लॉकडाउन की पूरी व्यवस्था में बहुत बार दबाव भी आया कहीं कुछ हो जाएगा मगर जब उस बेजुबान पक्षियों की सेवा जो खुशी मिल रही थी तो मन को तसल्ली मिल रही थी ऐसा कुछ डर जैसी कोई चीज नजर नहीं आई |
एक दिन विवेक जी को एक जानकार का फोन आया कि एक बस्ती है जहां पर एक गली में कुछ 50 घर हैं इसमें रहने वाले व्यक्तियों को भोजन की जरूरत है तब हरिओम जन सेवा समिति जिसमें वे भी जुड़े हुए हैं वहां लॉकडाउन में 24 घंटे भंडारा चल रहा था वहां से खाना लेकर जब वे उनको सुबह और शाम देकर आने लगे तो मन बड़ा प्रसन्न होता था जब किसी के लिए कुछ करने का मौका मिलता खुशी तब दुगनी हो जाती थी | ऐसी घटनाएं मनुष्य को प्रेरित करती हैं कि कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोए |
कहते हैं कि आप अगर किसी के लिए अच्छा करोगे तो ईश्वर भी अच्छा करता है | अच्छे लोग अपने अच्छे विचारों से हर माहौल के अंतर्गत एक नई ऊर्जा का संचार करते हैं उसी प्रकार की व्यवस्था के अंतर्गत गुप्ता जी ने अपने तन, मन और धन से इस कार्य को अपने स्तर पर ही जारी रखा और बहुत से लोगों की मदद की | इसी जनसेवा को आज भी लगातार आगे बढ़ाते हुए विवेक जी रोज सुबह ज्वार ,मक्का, बंदरों को रोटियां, केले, भुने हुए चने आदि लेकर जाते हैं और यह क्रम लगातार कर रहे हैं |
विवेकजी से बात होने पर उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी का यही लक्ष्य है कि जितने भी बेजुबान पशु पक्षी है जब तक मेरी कोशिश है मैं कुछ करता रहूंगा| उनके विचारों से बात समझ में आई कि जब भगवान श्रीराम के मात्र नाम से ही पत्थर समुद्र में तैरने लगता है और एक पुल का निर्माण मे एक छोटी सी गिलहरी भी अपना योगदान देती है तो कहीं ना कहीं हमें भी एक छोटी सी गिलहरी के रूप में सामाजिक हित के लिए योगदान देना जरूरी है| सोचिए, एक मनुष्य तो अपना दर्द बोलकर भी बयां कर सकता है, उन पशुओं के बारे में क्या जो मूक की भांति अपने जिंदगी के हर दर्द को अपने में समेटे बैठे हैं | ऐसे में हम तो यही कहना चाहेंगे कि समाज सेवा की ऐसी धारणा हमेशा निरंतर बनी रहे |हमारे बीच में ऐसे व्यक्ति जो समाज सेवा के लिए अंतर्निहित भावों से जुड़े हुए हैं, वह हमेशा इसी प्रकार से इन पशु पक्षियों की सेवा करते रहें | ईश्वर से प्रार्थना है कि ऐसे व्यक्ति शतायु हो और यह जन सेवा का कार्य हमेशा निरंतर करते रहे |
संपर्क करें : विवेक गुप्ता
48, शिव विहार कॉलोनी, रोड नंबर 5, पावर हाउस के पीछे
वी के आई एरिया, जयपुर ,राजस्थान
मोबाइल नंबर : 9828 09 2800
ईमेल आईडी : vivekgupta0583@gmail.com
Article By: Kavita Sharma