कहते हैं कि मजबूत इच्छाशक्ति हो तो व्यक्ति स्वयं के साथ-साथ समाज के उत्थान में भी सहयोग कर सकता है, शर्त यह है कि एक कड़ी निरंतर चलती रहनी चाहिए भले माध्यम फिर चाहे कुछ भी हो | इसी बात को सिद्ध कर दिखाया है ब्रज मंडल कॉलोनी, झोटवाड़ा, जयपुर के रहने वाले 73 वर्षीय योग पारायण श्री चमनलाल जी जोशी जिनकी जिंदगी का पवित्र उद्देश्य है “ सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया” |
सफल क्रियान्वयन एवं योग के आचरण की पालना के साथ चरैवेति चरैवेति — के भाव के साथ एवं स्वस्थ समाज के निर्माण हेतु पिछले 28 वर्षों से निरंतर योग के माध्यम से निशुल्क रूप से जरूरतमंदों को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं जिसमें विशिष्ट प्रकार के कैंप लगाकर अपने कार्यों को अमलीजामा पहना रहे हैं इस कोरोना काल के समय में भी वह घर पर रहकर ऑनलाइन प्रक्रियाओं के माध्यम से इस कार्य को गति प्रदान कर रहे हैं| अपनी इस प्रक्रिया के लिए उन्होंने विशेष रूप से तकनीकी सीखने का प्रशिक्षण लिया |
इनकी विशिष्ट उपलब्धियों की बात की जाए तो सन 2004 में उन्होंने “योग्य मित्र परिवार” का निर्माण किया जिसके अंतर्गत प्रशिक्षण लेने वाले (योग मित्र) इस सेवा को आगे जारी रख सकें | कहते हैं हर अच्छी शुरुआत के पीछे एक कहानी होती है | सन 1966 में मात्र 17 वर्ष की उम्र से ही अस्थमा ग्रसित होने पर 43 वर्ष तक असहनीय पीड़ा को उन्होंने भोगा | तमाम प्रकार की दवाइयां लेने पर भी कोई फायदा नहीं मिला, कुछ लोग तो इससे राजरोग कहकर जीवन पर्यंत चलने वाली बीमारी बताने लगे कि जीवन के साथ ही इसका अंत है किंतु यहां तो एक कहानी शुरू होनी थी | एक सज्जन योग साधक से उनका मिलन हुआ जो कि बचपन से योगासन कर रहे थे | संजीवनी बूटी के समान योगा उनके जीवन का हिस्सा बना| जैसे चकोर को चांद का इंतजार रहता है ,जैसे भूखे को रोटी का इंतजार रहता है सच में ऐसा लगा चमनलाल जी को जीवन में योग एक चमत्कार के रूप में आ गया | जो उनकी जिंदगी की दिशा को बदल कर ऐसे स्थान पर ले गया जहां वह अपनी जिंदगी की जद्दोजहद से निकलकर लोगों की जिंदगी में रोशनी करने लगे |
जैसे हर अंधेरी रात के बाद सूर्य का निकलना तय है, जैसे समुद्र की गहराई में जाकर के ही मोती को प्राप्त किया जा सकता है वैसे ही अपने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के द्वारा उन्होंने समाज को ऐसे बहुत से योग प्रशिक्षक को दिए जिन्होंने जगह-जगह अपने योग प्रक्रिया के द्वारा लोगों के जीवन को अच्छे स्वास्थ्य की ओर मोड़ा| मैं अपनी व्यक्तिगत रूप से बात करूं तो सालों से आज भी सुबह सुबह प्रातः कालीन बेला पर 6:30 पर जो कार्य पहले हमें गार्डन में बैठकर चमनलाल जी के साथ मिलकर योग किया करते थे आज वही कार्य ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से उन्हीं के समक्ष योग प्रक्रिया को पूर्ण करते हैं|
चमन लाल जी अपने योग के प्रति इतने समर्पित हैं कि अपने सभी प्रशिक्षित अभ्यार्थियों के लिए निशुल्क यह कार्य किसी भी वक्त ,किसी भी समय करने को तैयार हो जाते हैं| वाकई समाज के लिए चमनलाल जी एक बहुत बड़ी मिसाल है, जहां वे 73 वर्ष की उम्र में भी अपनी जिंदगी को एक नए शिखर तक पहुंचाने की पूर्ण कोशिश कर रहे है| ऐसे लोग जो समाज में निस्वार्थ भावना के माध्यम से लोगों की सेवा में दिन-रात जुटे हुए हैं| उन्होंने इसी प्रकार से सभी व्यक्तियों के लिए नि:शुल्क वितरण हेतु योग पर आधारित पुस्तक लिखी है (Learn and Practice Yoga) वह अविस्मरणीय है | इनकी पुस्तक का मुख्य उद्देश्य है –
100 मिनट प्रतिदिन कर योग
शतायु जीवन सुख भोग
ऐसे समाजसेवी को हम हृदय की आंतरिक गहराइयों से धन्यवाद देते हैं और ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि वह शतायु होकर लोगों के जीवन में इसी प्रकार से योग की साधना को संजोते रहे |
संपर्क सूत्र :
चमन लाल जोशी
फ्लैट नंबर -2 ,18a विनायक रेजिडेंसी 3
ब्रज मंडल कॉलोनी, झोटवाड़ा, जयपुर ,राजस्थान 30 2012
ईमेल आईडी – sugitamehta@gmail.com
मोबाइल नंबर – 7665534496
Article by : Kavita Sharma
Well done