जो अपनी जुबां से अपनी मेहनत का ज़िक्र नहीं करते उनका ज़िक्र एक दिन सबकी जुबां पर होता है
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Covid-19) ने पूरी दुनिया को चपेट में ले रखा है। दुनिया भर में इस वायरस से संक्रमित होने वालों और जान गंवाने वालों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। भारत समेत तमाम देशों में लोग लॉकडाउन के दौरान घरों में सुरक्षित हैं। वहीं कोरोना के फ्रंट लाइन वारियर्स हर दिन अपनी जान हथेली पर रख इस वायरस से लड़ रहे हैं। कुछ ने तो अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए जान तक न्योछावर कर दिया। कोलकाता के श्रीरामपुर में रहने वाले मोहित शाह भदेश्वर में ट्रक कार बॉडी बनाते हैं,फौज में जाने का है सपना लेकिन फिलहाल बिना वर्दी के निभा रहे है एक फौजी की भूमिका।
मोहित शाह फ्रंट लाइन पर आकर कर रहे है गरीबों की मदद, न केवल मोहित बल्कि मोहित की माँ ने भी गरीबों को खाना खिलाने में मदद करती है। वह प्रतिदिन खाना बनाती और मोहित जाकर गरीबों को खाना खिलाते हैं। मोहित जो कमाते हैं, जितना कमाते हैं, उसी कमाई से उन गरीबों को खाना पहुंचाते हैं। कई बार पैसे नहीं होने की वजह से वह सक्षम नहीं हो पाते तो उनके डिफेंस के दोस्त पैसे पहुंचा कर मोहित की मदद करते हैं।
मोहित ने जो काम करने की ठानी उसमें कई लोग जुड़े और कई लोग साथ छोड़ दिए लेकिन मोहित ने हार नहीं मानी और डटे रहे। उनका मानना है कि एक इंसान अगर दूसरे इंसान की मदद करेगा तो कोई गरीब नहीं रह जाएगा। मोहित का कहना है कि उनको प्रेरणा उन्हीं गरीबों से मिलती है, जो ऐसे हालत में रहकर भी हौसला नहीं हारते। मोहित जब भी उन गरीब लोगों को देखते हैं तो उन्हें ताकत मिलती है।
कई गरीब मोहित की राह तकते हैं। उन्हीं की राह में वह बैठे रहते है। मोहित ने उन गरीबों को कभी निराश नहीं होने दिया। वह अकेले ही डटे रहे अपने कर्तव्यों का पालन करते रहे। उनका मानना यह है कि भगवान ने जब हमें सक्षम बनाया है तो हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए। हमें ध्यान रखना चाहिए कि कभी कोई भूखे पेट ना सोए।
लेखक: स्वाति पाण्डेय