साल 2020 में जब देश कोरोना महामारी की चपेट में आया और देश में सम्पूर्ण लॉकडाउन घोषित किया गया तब, दिल्ली से अपने मूल निवास अयोध्या, उत्तर प्रदेश लौटी मिन्सी लखमानी ने अपने शहर में, खास तौर से अपने घर के आस-पास में पशुओं के लिए ख़ास तौर से कुत्तों के लिए स्थिति थोड़ी बिगड़ी पाई और यह देख उनसे रहा नहीं गया और उन्होंने उन मूक प्राणियों के लिए कुछ करने का तय किया जिसके बाद उन्होंने मार्च 2020 में पॉसिबल फाउंडेशन (Pawssible Foundation) कि शुरुआत की | पॉसिबल फाउंडेशन क़ानूनी तौर पे एक रजिस्टर्ड फाउंडेशन है, जिसकी पहल के अंतर्गत वे अपने शहर के जानवरों हेतु खाने, रहने और उनके स्वास्थ्य से जुड़ी व्यवस्था का प्रबंध करती और देखती हैं |

मिन्सी ने बताया कि पॉसिबल फाउंडेशन की शुरुआत करने के पीछे उनकी एक छोटी सी भावना छुपी हुई है | उनके जीवन में जानवरों के लिए जो प्यार है और करुणा है उसका कारण उनका खुद का डॉग विनि है | विनि के साथ उनका एक बहुत प्यारा रिश्ता था जिसकी वजह से वे जानवरों के प्रति एक अलग अपनापन महसूस करती हैं और वो उनके लिए कुछ करना चाहती हैं| 

पॉसिबल फाउंडेशन की शुरुआत के समय मिन्सी को कई कठिन परिस्थितियों का सामना पड़ा जिनके बारे में बात करते हुए उन्होंने ने बताया कि शुरु-शुरू में लोगों ने उनका साथ नहीं दिया लोगों को पशुओं के लिए कुछ करने में कोई ख़ास रूचि नहीं थी | शुरूआती दौर में उनके लिए फाइनेंस का और पशुओं के खाने एवं रहने का प्रबंध करने में भी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था | मैनपावर की कमी होने के कारण एनिमल रेस्क्यू में उनको दिक्कत होती थी | रेसक्यू किये हुए पशुओं के लिए शेल्टर होम बनाने के लिए उनको कोई जगह या प्लॉट ना मिलना भी उनके लिए एक बड़ी परेशानी बन गयी थी क्योंकि उनके पास जितनी जगह थी शुरू में उसमे वे लोग अधिक से अधिक 10-12 डॉग्स के लिए शेल्टर बना सकते थे | रेस्क्यू किये हुए पशु के लिए वेटरनरी डॉक्टर का प्रबंध करना भी उनके लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी| एनिमल एडॉप्शन रेट बहुत कम होना उनके लिए एक बहुत बड़ी चुनौती थी | 

दूसरी ओर उनके फाउंडेशन को मिले सहयोग के बारे में पूछे जाने पे मिन्सी ने बताया उनके इस काम में उनको उनके परिवार का और दोस्तों का पूरा सहयोग मिला लेकिन सबसे बड़ा सहयोग उनको उनकी बहन मुस्कान लखमानी से मिला | मुस्कान हर कदम पे मिन्सी का सहारा बनीं | इसके अलावा जैसे जैसे फाउंडेशन के अंतर्गत ये लोग अपना काम करते रहे वैसे वैसे कई लोग ख़ास तौर पे युवा वर्ग के लोग इनके सहयोग में आगे आये और इनकी मदद करने के लिए पॉसिबल फाउंडेशन के साथ जुड़ते चले गए | इसके अलावा कई NGOs भी इनके सहायता के लिए सामने आये और साथ में मिल के कई फ़ूड ड्राइव्स फॉर एनिमल्स का भी सफल संचालन किया | पॉसिबल के संपर्क में आये कई वेटरनरी डॉक्टर्स ने भी सहायता की | इस तरीके से कई चीज़ें जो पहले फाउंडेशन के लिए एक चुनौती थी वे वक़्त के साथ और लोगों के सहयोग से आसान होती चली गयीं | 

पॉसिबल फाउंडेशन के बारे कुछ और जानकारी देते वक़्त फाउंडेशन की टीम ने बताया की फंडरेजिंग के माध्यम से फाउंडेशन अपनी हर आर्थिक ज़रुरत को पूरा करती है | और पशुओं के लिए खाने का प्रबंध वे लोग अपने ही घर से करते हैं | मिन्सी से उनके काम से जुड़ी उपलब्धियों के बारे में पूछे जाने पे उन्होंने बताया की उनके हिसाब से उनकी और पॉसिबल की जर्नी ही उनके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है | पहले के मुकाबले एनिमल एडॉप्शन रेट का बढ़ना भी उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है | उन्होंने बताया की उन्हें सबसे ज़्यादा ख़ुशी इस बात की है कि कहीं न कहीं उनके फाउंडेशन के ज़रिये उन्होंने लोगों और पशुओं के बीच जो एक दूरी है उसको कम होते हुए देखा है , मैन-एनिमल रिलेशन में अपने आस पास सुधार आते देखा है ! 

आखिर में टीम पॉसिबल ने ये बताया की उनका अल्टीमेट पर्पज़ ये है की वो लोगों तक ये मैसेज पहुँचा सके की ये दुनिया जितनी हम इंसानो की है उतनी ही उन बेज़ुबाँ जानवरों की | हमारा ये बात समझ के उनके लिए थोड़ा सा भी कुछ करना एक बहुत बड़ा सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है | 

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Article By : Anshulika Mishra 

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