तरनतारन | कला में जब भी किसी देश का नाम बड़े आदर से लिया जाता है तो अपना प्यारा भारत हमेशा पहले पायदान पर आता है। कला के मंदिर अपने प्यारे भारत में अनेकों प्रकार की कलाएं मशहूर है लेकिन आज हम जिस कला के बारे में बात करने जा रहे है वो अत्यंत मुश्किल और नाज़ुक कला है। जी हां, इस मुश्किल कला को “पेंसिल लेड आर्ट” के नाम से जाना जाता है जिसमें पेंसिल के ग्रेफाइट के ऊपर कलाकार अनन्य प्रकार के चित्र उकेरता है। बहुत मुश्किल होने के कारण विश्व में इस कला के शौकीन बहुत कम ही कलाकार हैं । उनमें से एक है हमारे भारत के साहिलबीर सिंह। तरनतारन (पंजाब) के छोटे से गांव भिखीविंड से ताल्लुक रखने वाले साहिल से जब हमने मुलाकात की तो उन्होंने हमें विस्तार से अपने करियर के बारे में बताया और अपनी कला के नमूनों से रूबरू करवाया। आइए पढ़ते हैं साहिलबीर के साथ हुई हमारी इस मुलाकात को।

प्रश्न : साहिल ! इतने सारे कला के क्षेत्रों में से पेंसिल लेड आर्ट ही क्यों चुना आपने ?

उत्तर: पेंसिल लेड आर्ट एक मुश्किल और चुनौतीपूर्ण विषय है और मुझे भी मुश्किल और नामुमकिन से लगने वाले कार्य करने में ज्यादा मज़ा आता है। वैसे आर्ट से मेरा और मेरे परिवार का दूर दूर तक कोई संबंध नहीं है लेकिन एक दिन मैं मक्खी मूवी देख रहा था जिसमें फिल्म के एक सीन में पेंसिल के सिक्के के ऊपर कुछ कलाकृतियां उकेरी जा रही थी जिसे देख कर मैं काफी प्रभावित हुआ। वुडक्राफ्ट और पोर्सिलिन से बनी हुई काफ़ी कलाकृतियां हम आम देखते ही रहते है पर पेंसिल के लेड पर अनोखा ये आर्ट मुझे बहुत अच्छा लगा और मैंने भी सोचा क्यों न इसमें हाथ आज़माया जाए। और आर्ट से संबंध रखने वाले मेरे मित्रों ने भी मुझे बहुत प्रेरित किया तब से 5 साल हो गए है मैं इस पेंसिल लेड आर्ट का नियमित विद्यार्थी और कलाकार हूं।

प्रश्न : साहिल आप 5 सालों से इस कला के शिल्पकार हैं लेकिन आपने इस कला की ट्रेनिंग कहां से ली ?

साहिल : (हंसते हुए) आप मेरी बात का विश्वास नहीं करेंगे लेकिन इस कला को मैंने सोशल मीडिया के साधन यूट्यूब(YouTube) से सीखा है। पंजाब में छोड़िए पूरे उत्तर भारत में उस समय यह कला किसी भी आर्ट स्कूल में नहीं सिखाई जाती थी। और जहां सिखाई जाती थी जैसे मुंबई के मशहूर आर्ट स्कूलों में , वहां की फीस मेरे बजट से बाहर थी। लेकिन मेरे मन में इस कला को सीखने का जुनून था और सोशल मीडिया पर ही मैंने इस कला को एकाग्रता से सीखा। क्योंकि पेंसिल का सिक्का नाज़ुक होता है इसीलिए मैंने सबसे पहले मोमबत्ती के ऊपर प्रैक्टिस की फिर जब इस कला में हाथ बैठने लगा तो फिर मैंने पेंसिल के लेड पर इसे ट्राई किया। शुरू शुरू में काफी दिक्कत आती थी। कभी पेंसिल का सिक्का टूट जाता था या कभी चित्र उकेरते समय गलत जगह औजार चल जाता जिससे सारे आर्ट और उस पर हुई कई दिनों की मेहनत पर पानी फिर जाता। लेकिन वो कहते है न परिश्रम सफलता की कुंजी हैं , बस मैंने हार नही मानी और इस कला में निपुणता हासिल की।

प्रश्न : साहिल आप अपने “पेंसिल लेड आर्ट” की शिल्पियों को लोगों तक कैसे पहुंचते हो ?

साहिल : देखिए लॉकडाउन से पहले तो तरनतारन शहर में ही मैं छोटी मोटी कला प्रदर्शनियों में हिस्सा लेता था लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद जब सबकुछ डिजिटल हो गया तो मैंने भी खुद को बदल लिया। ऑनलाइन प्रदर्शनियों के दौरान देश की विभिन्न हस्तियों से मेरी मुलाकात हुई जिससे मेरी ख्याति भी बड़ी। पिछले वर्ष दिसंबर 2020 में पंजाब सरकार द्वारा मुझे फतेहगढ़ साहिब में प्रदर्शनी में हिस्सा लेने का मौका मिला जहां सिख धर्म से संबंधित प्रदर्शनी लगाई गई और  इस वर्ष जब मार्च में अनलॉक हुआ तो पंजाब की सबसे बड़ी कला प्रदर्शनी लगाने वाली संस्था “लुधियाना आर्ट जोन” ने मुझे न्योता दिया जिनकी प्रदर्शनी चंडीगढ़ के आर्ट म्यूजियम में लगी थी वहां जो लोगों ने मेरे काम को सराहा वो मेरे लिए सबसे अच्छा पल था। 

प्रश्न : आपको एक आर्टवर्क तैयार करने में कितना समय लगता है ?

साहिल : देखिए ये निर्भर करता है कलाकृति पर, अगर तो मुझे पेंसिल के सिक्के पर घड़ी को उकेरना है तो 2 या 3 दिन आराम से लग जाते है लेकिन अगर आप कहें मुझे मुझे पेंसिल के लेड पर जंजीर बनानी है तो उसमें हफ्तों तक लग जाते है। मुख्य बात है सब्र की और एकाग्रता की जो इस आर्ट वर्क में भरपूर चाहिए तभी तो इस कला को उकेरने वालों की संख्या बहुत कम है।

प्रश्न : साहिल,जब आपने पेंसिल लेड आर्ट को ही अपना करियर बना लिया तो घर वालों की क्या प्रतिक्रिया थी?

साहिल : जी,मैंने 5 साल इस पर मेहनत की और सफल हुआ और इन 5 सालों में अगर किसी ने मेरा होंसला बढ़ाया और मुझे डटे रहने की प्रेरणा दी और वो मेरे घर वाले ही थे। हालाकि मेरे पिता जी और भाई दोनो बिजली का काम करते है। वित्तीय तौर पर भी हम साधारण है लेकिन मेरे घर वालों की सोच बहुत ऊंची हैं और उनका सपना है कि मैं अंतरराष्ट्रीय मंच तक इस कला में ख्याति हासिल करूं।

प्रश्न : अगर कोई आपके इस नायाब आर्ट वर्क को खरीदना चाहे तो वो आप तक कैसे पहुंचे ?

साहिल : काफी लोग हैं जो मेरे आर्ट वर्क को पसंद भी करते हैं और खरीदते भी हैं। फिलहाल मैं व्हाट्सएप (whatsapp) के जरिए ही ऑर्डर लेता हूं लेकिन मैं अपनी वेबसाइट भी तैयार कर रहा हूं जिससे मैं सिर्फ भारत में ही नही बल्कि विश्वभर में अपना आर्ट वर्क बेच सकूं। नाजुक आर्ट होने के वजह से इसकी पैकेजिंग भी उसी ढंग से करनी पड़ती है ताकि ये डिलीवरी के दौरान टूट न जाए। मेरा व्हाट्सएप नंबर – +91 90414 30321 है । आप इस के जरिए मेरे सैंपल भी देख सकते है और मुझे ऑर्डर भी से सकते है। 

प्रश्न : साहिल,आज के युवा को आप क्या सलाह देना चाहेंगे जिससे आपको बहुत फायदा हुआ हो ?

साहिल : सब्र करें और उचित मौके का इंतजार करें,यही फॉर्मूला बेस्ट है। आजकल हम युवा जल्दी ही अमीर बनने के सपने देखते है और बिना मेहनत के ख्याति हासिल करना चाहते है। लेकिन यह कथनी बस मिथ्या है असल में जिंदगी में वही कामयाब है जिसे अपने लक्ष्य के सिवा और कुछ भी दिखाई न दे।

लेखक: पुलकित जैन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *