कहते हैं मनुष्य धन से कितना भी संपन्न हो पर हिर्दय की संपन्नता ही इंसानियत की सच्ची पहचान है। एक कहावत है नेकी कर दरिया में डाल शायद यह कहावत तो सब ने सुनी पर बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं जो किसी दूसरे के चेहरे पर मुस्कान बनाए रखने के लिए सच्चे दिल से बिना किसी स्वार्थ के अच्छे काम करते हैं। ऐसे जिंदादिली लोगों की सच्ची भावना को हम दिल से सलाम करते हैं जो हमारे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बने हुए हैं। 

ऐसी ही एक कहानी पश्चिम बंगाल के चितरंजन शहर में रह रही श्रुति सचान जी की भी है जो असहाय महिलाओं, गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करती है। श्रुति जी कानपुर की रहने वाली हैं और वह गत छ: वर्षों से पश्चिम बंगाल के चितरंजन शहर में रह रही हैं। श्रुति जी ने हमें बताया है कि वह गत पाँच वर्षों से चितरंजन शहर में सरकार द्वारा चलाए गए डब्लू डब्लू ओ (वीमेन वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन) के साथ जुड़ी हुई है। जहाँ डब्ल्यू डब्ल्यू ओ के अंतर्गत कई ऐसी संस्थाएं कार्यरत है जो कि मुख्य रूप से असहाय महिलाओं लिए रोजगार, विकलांगों और अनाथ बच्चों के लिए शिक्षा और रहने की सुविधा और जरूरतमंदों को रोजगार देने की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। जिससे उन्हें एक अच्छा भविष्य मिल सके। 

अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने हमें बताया है कि उन्होंने डब्ल्यू डब्ल्यू ओ द्वारा चलाए गए स्कूल में गरीब बच्चों की फीस की माफी की सुविधा करवाई है। साथ ही वहां काम कर रहे कर्मचारियों में महिलाओं की भर्ती की सुविधा भी करवाई है।

 उन्होंने यह भी बताया है कि आशा किरण जहाँ मुख्य रूप से शारीरिक विकलांगो और अनाथ बच्चों को शिक्षित किया जाता है। साथ ही वहां उनके रहने की भी सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। श्रुति जी ने वहां के कुछ बच्चों को गोद लिया है जिससे उनका भविष्य उज्जवल हो सकें। उन्होंने यह भी बताया है कि इस महामारी काल में उन्होंने अपने नजदीकी गांव में राशन भी बटवाएं साथ ही साथ उन्होंने अपने आसपास के गरीब लोगों को मुफ्त में राशन भी दिया। साथ ही उन्होंने गत वर्ष अपने क्षेत्र के गरीब महिलाओं को मुफ्त में सेनेटरी नैपकिन भी बांटे और उन्हें महावारी के समय स्वच्छता कितने जरूरी है इस बात से भी अवगत कराया। 

अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने समाज के लिए चंद पंक्तियां कही है “ मैं एक नारी हूं, साथ ही एक बेटी, पत्नी और एक बहू भी हूं इस काम के लिए मुझे मेरे परिवार का पूरा समर्थन मिलता है। ताकि मैं समाज के लोगों के लिए कुछ कर सकूं। यदि हम महिलाएं अपने गर्भ से एक नई जान को जन्म देने का साहस रखते हैं तो क्या हम महिला हो कर समाज में एक नई सोच और परिवर्तन लाने का कार्य नहीं कर सकते? ” इस बात से उन्हें खुशी मिलती है कि वह किसी के काम आ सके। उनका उद्देश्य समाज में एक नई सोच लाना है जिससे लोग एक दूसरे की मदद करें और साथ ही असहाय लोगों को सहारा मिल सके । उन्होंने बताया है कि डब्ल्यू डब्ल्यू ओ से जो भी फंड एकत्रित होते है उन्हें डब्लू डब्लू से जुड़ी सेवाओं में लगा दिया जाता है। साथ ही वह स्वयं जो भी समाज सेवा में अपना योगदान देती है इसमें उनके पति श्री आशीष सचान उनका पूरा सहयोग करते हैं। 

यह बताते हुए श्रुति जी समाज को यह संदेश देना चाहती है कि हम सभी लोगों से जितना भी हो सके हमें जरूरतमंद लोगों की सहायता करनी चाहिए।  

“हम सलाम करते हैं ऐसी जिंदादिली को, जो चाह रखते हैं किसी की जिंदगी बदलने को”

Article by : Neha Roy

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