“ जिंदगी की राह बड़ी कठिन है, पर इस राह में हर एक सफलता मुमकिन है”
आज हमारे समाज में अच्छी नौकरी कौन नहीं करना चाहता? आज समाज में लोग अच्छी नौकरी के लिए एक दूसरे से प्रतियोगिता कर रहे हैं। साथ ही अच्छी नौकरी न मिल पाने की स्थिति में नवयुवक मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं । इस प्रतियोगिता के समाज में हम केवल पढ़ाई लिखाई को ही कामयाबी का एक जरिया मानते हैं, पर किसी ने यह कभी नहीं सोचा कि आज हम समाज में अपने बच्चों को उनका भविष्य नहीं बल्कि हम उन्हें उनके इच्छा से विहीन कर पढ़ाई लिखाई के जरिये नौकरी करने वाला एक मशीन बना रहे हैं। इन सभी तथ्यों को आज अंकिता चटर्जी ने गलत साबित कर समाज को यह प्रेरणा दिया कि हुनर के जरिए भी हम समाज में अपनी एक अलग पहचान बना सकते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि अगर इरादे नेक और विश्वास अटूट हो तो सफलता भी आपके कदम चूमती है। इसी विश्वास के साथ पश्चिम बंगाल की रहने वाली अंकिता चटर्जी ने भी नित्य के जगत में अपना कदम रखा और कत्थक नृत्य कला में अपनी एक अलग पहचान बना कर इस कहावत को सच कर दिखाया।शुरू से ही अंकिता दूसरे बच्चों से बहुत अलग थी, जहां दूसरे बच्चे साढ़े तीन वर्ष की उम्र में खेलना कूदना पसंद करते थे वही अंकिता को संगीत की धुन पर थिरकना पसंद था। उनके पड़ोस में ही एक कत्थक की शिक्षिका रहा करती थी जहाँ कुछ बच्चे नृत्य सिखने आया करते थे इसी दौरान जब कभी उनके घर से घुँघरू की आवाज आती अंकिता तब तब उस गूंज रही आवाज पर थिरकने लगती । अक्सर वह अपने घर के दरवाजे पर खड़ी होकर उन बच्चों को देखा करती, जो वहां नृत्य सीख रहे होते थे । बहुत दिनों तक ऐसा करते देख मां ने उनके इस हुनर को सराहा, चुकि अंकिता जब नृत्य करती उनकी हर एक नृत्य की अदाकारी किसी बड़े नर्तकी से कम न लगते थे, उनके हर एक नृत्य के भाव में एक अदाकारी झलकती थी । उनकी मां को संगीत का बड़ा ही शौक था परन्तु पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण कभी उन्हें अपने हुनर को दिखाने का मौका नहीं मिला था इसलिए उन्होंने अंकिता को इसके लिए खूब सहयोग किया कि वह भी कला के क्षेत्र में कुछ कर दिखाएं, शायद इसी उम्मीद ने उनकी माँ का सपना साकार किया और अंकिता ने मात्र साढे पाँच वर्ष की उम्र में अपना पहला नृत्य प्रदर्शन किया जिसमे उन्हें प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उस दिन मां के आंखों से खुशियों के आंसू छलक आए थे क्योंकि अंकिता के अंदर उनकी मां ने अपनी छवि देखी जिसने उनका सपना साकार किया था।
नृत्य के सफर में बढ़ते कदम :
अंकिता ने मात्र ग्यारह वर्ष की उम्र में इंटर रेलवे की ओर से पांच राज्यों में नृत्य का प्रदर्शन किया जहां उन्हें चार राज्यों से पुरस्कृत किया गया। इसके बाद बारह वर्ष की उम्र में कोलकाता में भी नृत्य का प्रदर्शन किया ।
आठ वर्षों का नृत्य प्रशिक्षण प्राप्त किया :
इसके बाद उन्होंने कोलकाता के कला मंदिर में आठ वर्षों तक कत्थक की शिक्षा प्राप्त की। वह नृत्य में निपुण होती ही चली गई और उन्हें उनके बेहतरीन नृत्य प्रदर्शन के लिए सर्व भारतीय संगीत एवं संस्कृति परिषद की ओर से दो बार गोल्ड मेडल से सम्मानित भी किया गया।
अंकिता की निरंतर बढ़ती सफलता ने उन्हें फिर से एक नया अवसर प्रदान किया जहाँ उन्होंने भारत के सात भिन्न राज्यों उड़ीसा, उत्तर प्रदेश, आगरा, दिल्ली, चेन्नई, मुंबई और पंजाब में अपना नृत्य प्रदर्शन किया । वर्ष 2012 में अंकिता ने राज्य स्तर प्रतियोगिता में भी भाग लिया और यहां उन्हें प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
नृत्य कला में प्राप्त उपलब्धियां :
अंकिता को उनके बेहतरीन नृत्य प्रदर्शन के लिए मयूर सम्मान और संगीत प्रभाकर सम्मान से भी सम्मानित किया गया है। साथ ही उन्हें सीसीआरटी कनिष्ठ नर्तकी और मिनिस्ट्री ऑफ कल्चरल ऑफ दिल्ली से नृत्य के लिए छात्रवृत्ति की सुविधा भी प्रदान की गई।
अंतर्राष्ट्रीय नृत्य प्रतियोगिता में तीसरा पद प्राप्त कर देश का सर गर्व से ऊँचा किया :
वर्ष 2013 में कोलकाता के गोरकी सदन में रशियन ऑर्गेनाइजेशन के तहत इंटरनेशनल कल्चर मीट अंतरराष्ट्रीय नृत्य प्रतियोगिता में उन्होंने तीसरा पद हासिल किया। इस प्रतियोगिता में मिस्र, रूस, चीन, यूके, यूएसए और भारत जैसे देशों से लोगों ने नृत्य का प्रदर्शन किया था।
वर्ष 2014 में एक बड़ी सफलता ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी और मात्र उन्नीस वर्ष की उम्र में उन्हें सांस्कृतिक कोटा से ईस्ट सेन्ट्रल रेलवे की ओर से नर्तकी पद के लिए चुना गया। जिसके अंतर्गत उन्हें इंटर डिवीज़न और इंटर रेलवे के नर्तकी पद से नृत्य प्रदर्शन के लिए पुरुस्कार भी दिया गया।
स्वयं का नृत्य संस्थान आरम्भ किया :
आज अंकिता दिल्ली के शास्त्री बिरजू महाराज और उनके भाई शास्त्री राम मोहन महाराज से नृत्य की शिक्षा ले रही है। साथ ही अंकिता पटना और इलाहाबाद में नृत्य की शिक्षा देने जाया करती है। उन्होंने अपना नृत्य संस्थान भी आरंभ किया है जहां वह नृत्य सिखाया करती हैं। अंकिता के दो शब्द “नृत्य में मेरा मुकाबला किसी और से नहीं बल्कि खुद से है ताकि मैं और अधिक अच्छा नृत्य कर सकूँ”
अंकिता चटर्जी के नृत्य से सम्बंधित जानकारी के लिए आप उन्हें उनके इंस्टाग्राम @kathakarankita पर संपर्क कर सकते हैं।
Article by : Neha Roy
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Amazing Motivational Story. It will help for other girl to do something different.